कुछ मुकतक ....
जीने के हैं लाख तरीके, पर हमको बस एक आया,
प्यार में जिना, प्यार में मरना, हर पल बस येही गाया,
सुनी बहुत अलगाव की बातें, हमने हर मंदिर-मस्जिद,
हमने तो मदिरालय में भी, प्रेम राग ही गाया |
नाच रहा यह तन देखो, और नाच रहा यह मन देखो,
प्रेम राग की तान पे सारा, नाच रहा यह जग देखो,
जीती बहुत दौलत और शौहरत, इस दुनिया के मेले में,
प्रेम-सुधा में, बहकर हार में, होती अपनी जीत देखो |
चमक जिसमे महताब हैं ढूंढे, फिज़ा जिसमे हैं गंध खोजे,
उस प्रियतम का वर्णन क्या दू, धनुक जिसमे में रंग खोजे,
सुनी-पढ़ी श्रृंगार की बातें, हमने बहुत पोथी-पोथी,
मैं चाहू बस उस प्रियतम को, श्रृंगार जिसमे हैं रस खोजे |
कोई कहता यह दीवानापन, कोई कहता यह यौवन हैं,
प्रेम की इतनी परिभाषाएं, कोई कहता तन-मन-धन हैं,
पूछो मगर हर उस दिल से जो, डूबा हुआ इस दर्या में,
वह कहता सब बातें छोडो, प्रेम प्रिये यह जीवन हैं |
बन जोगन जो बन-बन फिरती, मीरा ऐसी दीवानी,
श्याम की सुधियों में जो रहती, राधा ऐसी मतवारी,
समय-दूरिया उसको मिथ्या, झूमे प्रेम की लय जो,
हर युग, हर आँगन समझती, देखो कबीरा की वाणी |
रब एक मान ले मेरा कहना, मत तोड़ इतने दिल दीवाने,
प्रेम-इबादत से चलती यह, दुनिया ओ रचनेवाले,
होगी क़यामत सबकी किसी दिन, आज मगर तू यह सुन ले,
जिस दिन टूटी सच्ची महोबात, उस दिन क़यामत तेरी हैं |
भूले यौवन, श्रृंगार भूले, भूले उस संग की होली,
भूले वचन सब, मधुबन भूले, भूले कुमकुम की रोली,
धुंधली करता वक़्त मरहम बन, उन यादो की बौछारे,
पर शाश्वत सिन्धु सम रहती, उसके नयनो की बोली |
राधा-किशन के गीत हैं गाती रहती दुनिया सारी हैं,
मेल नहीं हैं इस गाथा में, विरह की प्रेम कहानी हैं,
इसीलिए दुनिया की रस्मे, तुझको करती दूर प्रिये,
विरह बिना पूर्ण न होती, कोई अमर कहानी हैं |
आँखें तेरी कुछ कहती हैं, होथ बयाँ कुछ और करे,
समझू इसको मैं पुरकारी, या मजबूरी बोल प्रिये,
तेरे तसव्वुर, फैसले तेरे, सब यह तेरी मनमानी,
मानी मैंने किन्तु सरल ना, दुनिया सारी मान प्रिये |
झूठ कहा था मैंने तुझको, केवल दो ही पल हैं प्रिये,
एक वो पल था तुझको पाया, खोया दूजे पल हैं प्रिये,
झूठ लगे सब सच्ची बातें, इन दोनों के बीच तुझे,
सच समझी तूने क्यों, वह झूठी बातें बोल प्रिये |
- चेतन भादरीचा
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