भारत माँ है पुकारती
दुशमन आ खड़ा है दर पे ,
देता ललकार रावण सी ,
लड़नी है आज यह जंग तुम्हे ,
लगा के बाज़ी जान की ,
चल जाग रे अब ए नौजवान ,
िक भारत माँ है पुकारती |
िदया उपहार शहिदों ने है ,
खेल के होली खून की ,
संभाल के रखना इस चमन को ,
शपथ तुमसे यह ली थी ,
उस प्रण को पूर्ण करने की ,
घड़ी है आज आ चुकी ,
चल जाग रे अब ए नौजवान ,
िक भारत माँ है पुकारती |
हमको गाँधी , हमको नेहरू ,
की संतान यह समज़ते है ,
भूल चुके शायद वह ये ,
यहाँ भगत सुभाष भी रहते है ,
रखनी है आज लाज तुम्हे ,
इस देश के स्वािभमान की ,
चल जाग रे अब ए नौजवान ,
िक भारत माँ है पुकारती |
बहुत सह िलया अब न सहेंगे ,
दृढ़ िनश्चय यह करके ,
खौफ िमटाना है आज िदल से ,
हर एक भारतवासी के ,
करनी है रचना आज तुम्हे ,
एक शोषण मुक्त समाज की ,
चल जाग रे अब ए नौजवान ,
की भारत माँ है पुकारती |
दुशमन आ खड़ा है दर पे ,
देता ललकार रावण सी ,
लड़नी है आज यह जंग तुम्हे ,
लगा के बाज़ी जान की ,
चल जाग रे अब ए नौजवान ,
िक भारत माँ है पुकारती |
िदया उपहार शहिदों ने है ,
खेल के होली खून की ,
संभाल के रखना इस चमन को ,
शपथ तुमसे यह ली थी ,
उस प्रण को पूर्ण करने की ,
घड़ी है आज आ चुकी ,
चल जाग रे अब ए नौजवान ,
िक भारत माँ है पुकारती |
हमको गाँधी , हमको नेहरू ,
की संतान यह समज़ते है ,
भूल चुके शायद वह ये ,
यहाँ भगत सुभाष भी रहते है ,
रखनी है आज लाज तुम्हे ,
इस देश के स्वािभमान की ,
चल जाग रे अब ए नौजवान ,
िक भारत माँ है पुकारती |
बहुत सह िलया अब न सहेंगे ,
दृढ़ िनश्चय यह करके ,
खौफ िमटाना है आज िदल से ,
हर एक भारतवासी के ,
करनी है रचना आज तुम्हे ,
एक शोषण मुक्त समाज की ,
चल जाग रे अब ए नौजवान ,
की भारत माँ है पुकारती |
-- चेतन भादरीचा
2 Comments:
Hey good one :)
U sure have a patriotic flair in ur poetry.
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Ships, at 11:38 AM
am short of words now....keep this spirit alive...
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The Virtual Creative Crack Pot, at 6:49 AM
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