मेरे स्वर

Monday, May 01, 2006

भारत माँ है पुकारती

दुशमन आ खड़ा है दर पे ,
देता ललकार रावण सी ,
लड़नी है आज यह जंग तुम्हे ,
लगा के बाज़ी जान की ,
चल जाग रे अब ए नौजवान ,
िक भारत माँ है पुकारती |

िदया उपहार शहिदों ने है ,
खेल के होली खून की ,
संभाल के रखना इस चमन को ,
शपथ तुमसे यह ली थी ,
उस प्रण को पूर्ण करने की ,
घड़ी है आज आ चुकी ,
चल जाग रे अब ए नौजवान ,
िक भारत माँ है पुकारती |

हमको गाँधी , हमको नेहरू ,
की संतान यह समज़ते है ,
भूल चुके शायद वह ये ,
यहाँ भगत सुभाष भी रहते है ,
रखनी है आज लाज तुम्हे ,
इस देश के स्वािभमान की ,
चल जाग रे अब ए नौजवान ,
िक भारत माँ है पुकारती |

बहुत सह िलया अब न सहेंगे ,
दृढ़ िनश्चय यह करके ,
खौफ िमट
ना है आज िदल से ,
हर एक भारतवासी के ,
करनी है रचना आज तुम्हे ,
एक शोषण मुक्त समाज की ,
चल जाग रे अब ए नौजवान ,
की भारत माँ है पुकारती |


-- चेतन भादरीचा

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