चािलस के उस पार
ना कुछ कम, ना कुछ ज्यादा,
इंिजिनयरींग की एक ही गाथा ,
पहुँचता जब वह खुश हो जाता,
चािलस के उस पार है जो जाता |
रात िदन है क्यो वह जागा,
बस पार करने एक ही बाधा ,
ब्रह्मानंद का धनी हो जाता,
चािलस के उस पार है जो जाता |
कोिशश है वह करता रहता,
जब तक इस पार है वह रहता,
कर्मयोग वह पूर्ण हो जाता,
चािलस के उस पार है जो जाता |
चारो ितर्थ की यात्रा करता,
गंगा में भी वह नहा लेता,
धन्यवाद में गुलाल उड़ाता ,
चािलस के उस पार है जो जाता |
ना कुछ कम, ना कुछ ज्यादा,
इंिजिनयरींग की एक ही गाथा ,
पहुँचता जब वह खुश हो जाता,
चािलस के उस पार है जो जाता |
रात िदन है क्यो वह जागा,
बस पार करने एक ही बाधा ,
ब्रह्मानंद का धनी हो जाता,
चािलस के उस पार है जो जाता |
कोिशश है वह करता रहता,
जब तक इस पार है वह रहता,
कर्मयोग वह पूर्ण हो जाता,
चािलस के उस पार है जो जाता |
चारो ितर्थ की यात्रा करता,
गंगा में भी वह नहा लेता,
धन्यवाद में गुलाल उड़ाता ,
चािलस के उस पार है जो जाता |
-- चेतन भादरीचा
4 Comments:
I hope you r not into this number game in US
By
manoj, at 8:30 PM
poem do saa; late aaee
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Anandi, at 3:24 PM
chalis ki maya sirf engg tak hi simit nahi hai. din raat IT mein kaam karne baad ab aisa mahsus ho raha hai ki kya mein chalis ke us paar ja paoonga?
By
MyVoice, at 10:47 AM
chalis ki aage hamari zindagi nahin jati,
vyasan me hamari zindagi hui aaadhi,
kya kare hamein chalis ke aage ginti nahin aati.
dude u have really great poems to tell more about ur visualization
By
Unknown, at 10:40 PM
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