बस तुम्हारे िलए .....
सुरज की रोशनी बनी संध्या के िदए ,
मैं खड़ा रहा इस राह में बस तुम्हारे िलए |
वो मुस्कराहट आस थी, नैनो में प्यास थी,
जीवन के कोलाहल में, तुम िबन न बात थी,
कोई राह किठन न थी, जब तुम मेरें साथ थी,
अँधेरों का डर न था, जब रोशनी ही पास थी,
अब तो तुम्हारी कमी और भी खलती प्राणों से िप्रये,
मैं खड़ा रहा इस राह में बस तुम्हारे िलए |
लोग कहते रहे मुझसे, तुमको भूल जाने को,
मौसम ए बहार का िफर लुफ्ट उठानें को,
पर वह जानते नहीं, इस िफज़ा में वो रवानी कहाँ,
तुम संग िबताए, हर लम्हा सी िज़ंदगी कहाँ,
हर पल की खुिशयों में बस तुम्हरी आस िलए,
मैं खड़ा रहा इस राह में बस तुम्हारे िलए |
कहना चाहता था मैं तुमसे, बहुत सी बातें,
तुम िबन िबतायी, वो मुश्िकल सी साँसें,
तुम सामने थी मेरे, पर पास न थी,
तुम्हारी आँखों में मैंने देखी वो चाह न थी,
तुम मश्रुफ थी, कुछ ऐसी अपनी दुिनया में,
सुन न पाई, जो मेरी खामोश सी आहें,
मैं रुका था तुम्हारे, बस एक ईशारें के िलए,
मैं खड़ा रहा इस राह में बस तुम्हारे िलए |
समझती क्यों नहीं तुम मेरी िदवानगी को,
खामोिशयों में मचे इस भवंडर को,
िक हर बात ज़ुबान से नहीं की जाती,
इज़्हारे ए महोब्बत यों नहीं हो जाती,
तुम्हे न पता िकतना सताती ये अदाएँ,
चुपके से देखकर तुमने चुराई जो आँखें,
मैं िलखता तुम्हारें बारें में, सुनाता तुम्हारें बारें में,
सुनकर तुमनें पुछ िलया मेरी प्रेरणा के बारें में,
कैसे मैं बताता था मैं िकसका इंतज़ार िलए,
मैं खड़ा था तुम्हारे सामने बस तुम्हारे िलए |
पर जानता हूँ मैं बेवफा तुम नहीं,
ज़माने के दस्तुर है, गुन्हेगार हम नहीं,
पर समझोगी जब तुम मेरे अलफाज़ो को,
आँखो मे बसे नमी के सागर को,
डूब जाओगे उसकी गहराईयों में,
िघर जाओगे मेरी खामोिशयों मे,
तब सताएँगी तुमको हमारी यादें,
वो हसती िकलकारी, वो भावूक सी बातें,
तब भी पाओगी तुम मुझे, वहीं अरमान िलए,
मै खड़ा रहूँगा उसी राह पर बस तुम्हारें िलए .... बस तुम्हारें िलए ....
सुरज की रोशनी बनी संध्या के िदए ,
मैं खड़ा रहा इस राह में बस तुम्हारे िलए |
वो मुस्कराहट आस थी, नैनो में प्यास थी,
जीवन के कोलाहल में, तुम िबन न बात थी,
कोई राह किठन न थी, जब तुम मेरें साथ थी,
अँधेरों का डर न था, जब रोशनी ही पास थी,
अब तो तुम्हारी कमी और भी खलती प्राणों से िप्रये,
मैं खड़ा रहा इस राह में बस तुम्हारे िलए |
लोग कहते रहे मुझसे, तुमको भूल जाने को,
मौसम ए बहार का िफर लुफ्ट उठानें को,
पर वह जानते नहीं, इस िफज़ा में वो रवानी कहाँ,
तुम संग िबताए, हर लम्हा सी िज़ंदगी कहाँ,
हर पल की खुिशयों में बस तुम्हरी आस िलए,
मैं खड़ा रहा इस राह में बस तुम्हारे िलए |
कहना चाहता था मैं तुमसे, बहुत सी बातें,
तुम िबन िबतायी, वो मुश्िकल सी साँसें,
तुम सामने थी मेरे, पर पास न थी,
तुम्हारी आँखों में मैंने देखी वो चाह न थी,
तुम मश्रुफ थी, कुछ ऐसी अपनी दुिनया में,
सुन न पाई, जो मेरी खामोश सी आहें,
मैं रुका था तुम्हारे, बस एक ईशारें के िलए,
मैं खड़ा रहा इस राह में बस तुम्हारे िलए |
समझती क्यों नहीं तुम मेरी िदवानगी को,
खामोिशयों में मचे इस भवंडर को,
िक हर बात ज़ुबान से नहीं की जाती,
इज़्हारे ए महोब्बत यों नहीं हो जाती,
तुम्हे न पता िकतना सताती ये अदाएँ,
चुपके से देखकर तुमने चुराई जो आँखें,
मैं िलखता तुम्हारें बारें में, सुनाता तुम्हारें बारें में,
सुनकर तुमनें पुछ िलया मेरी प्रेरणा के बारें में,
कैसे मैं बताता था मैं िकसका इंतज़ार िलए,
मैं खड़ा था तुम्हारे सामने बस तुम्हारे िलए |
पर जानता हूँ मैं बेवफा तुम नहीं,
ज़माने के दस्तुर है, गुन्हेगार हम नहीं,
पर समझोगी जब तुम मेरे अलफाज़ो को,
आँखो मे बसे नमी के सागर को,
डूब जाओगे उसकी गहराईयों में,
िघर जाओगे मेरी खामोिशयों मे,
तब सताएँगी तुमको हमारी यादें,
वो हसती िकलकारी, वो भावूक सी बातें,
तब भी पाओगी तुम मुझे, वहीं अरमान िलए,
मै खड़ा रहूँगा उसी राह पर बस तुम्हारें िलए .... बस तुम्हारें िलए ....
-- चेतन भादरीचा
5 Comments:
whats the name of the girl???????
By
manoj, at 11:53 PM
koi nahi hai ....
just imagination .....
By
Chetan Bhadricha, at 1:12 AM
what a imagination man????
By
manoj, at 2:39 AM
waah chetan babu,
nayee poem, nayi girlfriend...
badhiya hai!!!;)
too good buddy, keep it up!
By
Shreyas Navare, at 10:07 AM
awesome bhadricha..i thought tu philosophy zhadega....i was not knowing..tu bhi lafde baaz haai...waise kaun hai...kisi chinki ko pakda kya
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Unknown, at 4:32 PM
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