मेरे स्वर

Monday, January 24, 2011

फिर तेरा चेहरा देखा हैं ...

आज आँखों ने मेरी, फिर एक ख्वाब देखा हैं,
चमकते सितारों पर, एक गुलसितां देखा हैं,
वादियाँ तन्हां हैं, बदल घिरे हैं,
उनके बीच, आज फिर तेरा चेहरा देखा हैं |

खूबसूरती नहीं हैं मोहताज, चमकते सितारों की,
खिलती कलियों की, या महकती फिज़ाओं की,
मैंने सादगी ओढ़े, आँखें मिचकाते,
एक एहसास देखा हैं, आज फिर तेरा चेहरा देखा हैं |


इबादत समझाते आये हैं, ज़माने कबसे,
ढूंढते उसकी कुदरत को, पथरों में,
मैंने हलके से, मुस्कारते,
एक तरन्नुम में उसे देखा हैं, आज फिर तेरा चेहरा देखा हैं |

धाई आखर समझाती पोथियाँ क्यों,
जीने का ढंग दिखलाती पोथियाँ क्यों,
तेरी आँखों में डूब, मैंने,
जीने का अंदाज़ सिखा हैं, आज फिर तेरा चेहरा देखा हैं |

कोयल की कूक जो सुनती यारा,
नदिया जिस पीड़ में, बहती बन धारा,
उस संगीत को मैंने,
खामोशियों में सुना हैं, आज फिर तेरा चेहरा देखा हैं ... आज फिर तेरा चेहरा देखा हैं ...


- चेतन भादरीचा