मैं और मेरी तनहाई ...
मैं और मेरी तनहाई अक्सर ये बातें करते है,
के अगर िजवन का हर कंतक िनकल जाता,
तो िजवन क्या होता,
के राहे अगर फूलों से िबखरी होती,
तो हर खुशबु िकतनी िमठ्या थी,
के अगर तुम इस िजंदगी को नहीं नवाज़ती,
तो इस ईंद्रधनुष को पुर्ण कौन करता,
के इस तनहाई में तुम साथ होती,
तो ये तनहाईयाँ भी िकतनी खुबसुरत होती,
के हर राह जो चलती है,
वह राह तुम्हारी तरफ है,
के हर लम्हा एक एहसास,
और हर एहसास एक िजंदगी है,
मैं और मेरी तनहाई अक्सर ये बातें करते है ....
के अगर िजवन का हर कंतक िनकल जाता,
तो िजवन क्या होता,
के राहे अगर फूलों से िबखरी होती,
तो हर खुशबु िकतनी िमठ्या थी,
के अगर तुम इस िजंदगी को नहीं नवाज़ती,
तो इस ईंद्रधनुष को पुर्ण कौन करता,
के इस तनहाई में तुम साथ होती,
तो ये तनहाईयाँ भी िकतनी खुबसुरत होती,
के हर राह जो चलती है,
वह राह तुम्हारी तरफ है,
के हर लम्हा एक एहसास,
और हर एहसास एक िजंदगी है,
मैं और मेरी तनहाई अक्सर ये बातें करते है ....
-- चेतन भादरीचा