फिर से जीना चाहता हूँ
उन यादों को,
उन लम्हों को,
मैं फिर से दोहराना चाहता हूँ ,
वो चंद दिन फिर से जीना चाहता हूँ |
जब दिल में न थी कोई ख्वाईश,
न जीने में तमन्ना,
सारी दुनिया मेरी थी,
और मैं दुनिया का ,
वो एहसास फिर से महसूस करना चाहता हूँ ,
वो चंद दिन फिर से जीना चाहता हूँ |
जब हर शब्द में थी मासुमियत ,
न था द्वेष ईष्यॉ का सागर ,
न चिंता, न मुश्किल, बस था खुशियों का सावन ,
उस बारिश में, मैं फिर से भीगना चाहता हूँ,
वो चंद दिन फिर से जीना चाहता हूँ |
जब हर विचार में थी सरलता,
और व्यवहार में चंचलता,
दुश्मनी होती थी बस पलभर,
और दोस्ती एक दास्तान,
जब दुःख देख दुसरों का ,
दिल अपना भर आता था,
वो ईश्वर स्वरूप फिर से पाना चाहता हूँ,
वो चंद दिन फिर से जीना चाहता हूँ |
उन यादों को,
उन लम्हों को,
मैं फिर से दोहराना चाहता हूँ ,
वो चंद दिन फिर से जीना चाहता हूँ |
जब दिल में न थी कोई ख्वाईश,
न जीने में तमन्ना,
सारी दुनिया मेरी थी,
और मैं दुनिया का ,
वो एहसास फिर से महसूस करना चाहता हूँ ,
वो चंद दिन फिर से जीना चाहता हूँ |
जब हर शब्द में थी मासुमियत ,
न था द्वेष ईष्यॉ का सागर ,
न चिंता, न मुश्किल, बस था खुशियों का सावन ,
उस बारिश में, मैं फिर से भीगना चाहता हूँ,
वो चंद दिन फिर से जीना चाहता हूँ |
जब हर विचार में थी सरलता,
और व्यवहार में चंचलता,
दुश्मनी होती थी बस पलभर,
और दोस्ती एक दास्तान,
जब दुःख देख दुसरों का ,
दिल अपना भर आता था,
वो ईश्वर स्वरूप फिर से पाना चाहता हूँ,
वो चंद दिन फिर से जीना चाहता हूँ |
-- चेतन भादरीचा
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